Thursday, 2 August 2012

दुनिया ने मुझको हाय ये क्या क्या बता दिया

जिसके भी जी में आया मुझे वो बता दिया 
दुनिया ने मुझको हाय ये क्या क्या बता दिया 

हिन्दू या मुसलमान ही बस बच गए यहाँ
इंसान को ढूँढा तो मुझे काफिर बता दिया

करते ख़ुदा ख़ुदा पर खुद की ही सोचते
सच कर दिया बयान तो साधू बता दिया

इश्वर और अल्लाह के घर बन रहे यहाँ 
इंसान को फूटपाथ की चादर बता दिया 

सिस्टम की खिलाफत में जो आवाज़ की बुलंद 
सिस्टम के नुमाइंदो ने बागी बता दिया 

थक कर ज़रा इस भीड़ से हो दूर जो बैठा 
इस भीड़ ने न देर की पागल बता दिया 

खुद को घिसा है मैंने इस दुनिया की संग पर 
खुशबू जो आयी मुझसे तो 'चन्दन' बता दिया