जिसके भी जी में आया मुझे वो बता दिया
दुनिया ने मुझको हाय ये क्या क्या बता दिया
हिन्दू या मुसलमान ही बस बच गए यहाँ
इंसान को ढूँढा तो मुझे काफिर बता दिया
करते ख़ुदा ख़ुदा पर खुद की ही सोचते
सच कर दिया बयान तो साधू बता दिया
करते ख़ुदा ख़ुदा पर खुद की ही सोचते
सच कर दिया बयान तो साधू बता दिया
इश्वर और अल्लाह के घर बन रहे यहाँ
इंसान को फूटपाथ की चादर बता दिया
सिस्टम की खिलाफत में जो आवाज़ की बुलंद
सिस्टम के नुमाइंदो ने बागी बता दिया
थक कर ज़रा इस भीड़ से हो दूर जो बैठा
इस भीड़ ने न देर की पागल बता दिया
खुद को घिसा है मैंने इस दुनिया की संग पर
खुशबू जो आयी मुझसे तो 'चन्दन' बता दिया