ज़िन्दगी तुमसे बेहतर कुछ दे भी नहीं सकती थी
वो एक कुतूहल जो इन नन्हीं आँखों में छुपा है
वो तबस्सुम, वो हंसी जो तेरे चेहरे में रवाँ है
इक छोटी सी हँसी जो हमारी जिंदगी शादाब कर दे
वो हर नया खेल-ओ-वाक़या जो तुम्हे नायाब कर दे
हर इक ग़म, हर इक दर्द को रफ़्ता करने का हुनर
तेरे होने से लगता है ज़िन्दगी में है बसर
वो नन्हीं हथेलियों की छुअन, काँधे पे तेरे सर का स्पर्श
अब मेरी ज़िन्दगी में सब कुछ कि जैसे अर्श ही अर्श
गोद में ले लूं तो जैसे सारी बहार मेरे दामन में
सारे जहान की खुशियाँ हों मेरे आँगन में
सच है, ज़िन्दगी तुमसे बेहतर कुछ दे भी नहीं सकती थी
2 comments:
atyant sundar rachna
subah subah dil prasann ho gaya
Thank you sir for your kind words :)
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