जन्मदिन, जब बच्चा बनने की चाहत
एक बार फिर उमड़ आती है दिल में
और कुछ बचपन की सोंधी खुशबू भर आती है
केक नहीं होता था, ना चोकोलेट ही होता था
बर्फियाँ होती थी गाँव के हलवाई की दूकान की
और टॉफियां काका की छोटी परचून की दूकान से
उन टॉफियों का अपना अलग मज़ा होता था
आज उन्ही यादों की खुशबू कों ताज़ा करने की कवायद लिए
कुछ टॉफियां लाया हूँ और साथ हैं बचपन की मीठी यादें