उम्र-ए-दराज़ करेंगे क्या
जियेंगे क्या, मरेंगे क्या
दिल चाक औ चारागर न मिले
दिल चाक अब सियेंगे क्या
हमसफ़र ही हमखयाल न हो
तो संग सफर करेंगे क्या
जीते हैं कि नब्ज़ चालू है
रुक गई तो हम मरेंगे क्या
सब चल दिए हम भी चलते हैं
आप अब भी यहाँ रुकेंगे क्या
दिल टूटने से नाखुश हैं
चाक-ए-जिगर सुनेंगे क्या
शर्मा गयी हयात उनसे
मेरे मेहबूब से मिलेंगे क्या