नई मंज़िल रही पुकार सनम
जैसे सुबह की पहली लाल किरण
और मांझी की पतवार पवन
कुछ और कदम, कुछ और कदम
मांझी की भाँती चलता जा
जाने से पहले ओ राही
कुछ मीठी यादें लेता जा
जो लम्हे जी कर जाएगा
उनको मुट्ठी में भींचे जा
अनजान नगर अनजान डगर
जाने से पहले ओ राही
कुछ प्यारी बातें लेता जा
जाने से पहले ओ रही
कुछ मीठी यादें लेता जा
दो दिन की तो ये बात नहीं
ऐसा छोटा तो ये साथ नहीं
बरसों के संजोये किस्से हैं
कुछ तेरे, कुछ मेरे हिस्से हैं
वो हिस्से संग तू लेता जा
जाने से पहले ओ रही
कुछ मीठी यादें लेता जा
ये देस तुम्हारा अपना है
ये मिट्टी अपनी मिट्टी है
मिट्टी की थोड़ी सी खुशबू
अपने दामन में लेता जा
जाने से पहले ओ राही
कुछ मीठी यादें लेता जा