Tuesday, 15 March 2011

सरिस्का यात्रा - दूसरा दिन

सरिस्का यात्रा  - दूसरा दिन 

सुबह की चाय ने हम सबकी नींद खोली
क्या खूब थी जलपान में परांठे और मोर की बोली

अगला पड़ाव था सरिस्का का राष्ट्रीय उद्यान 
फिर हमें जाना था भानगढ़ के भूतिया किला महान

सरिस्का में तीन जीपों में निकली हमारी सफारी
बाघ थे हिरन थे और नीलगायों की संख्या थी भारी

बाघ और बाघिन ने खूब कराया इंतज़ार
रोंगटे खड़े हो गए जब सुनी उसकी दहाड़

बीच जंगल में पानी पीने को पहुंचे काली घाटी
ऊपर से नीचे सराबोर धूल और माटी माटी

काली घाटी में चिड़ियों ने हमसे लाड़ दिखाया
मधुमक्खियों वाले नल से हमने जीतू भाई को पानी पीता पाया

वहाँ से निकले आगे को चले भानगढ़ की ओर
सबकी हालत पस्त हो चली भूख लगी थी जोर

भान गढ़ के ढाबे में खायी मिटटी दाल और रोटी
फेल हो गयी जिसके आगे बटर चिकेन की बोटी

भानगढ़ के किले को खूब किया एक्सप्लोर
भूत हमें तो नहीं मिले लंगूर दिखे और मोर

थक थक के हम चूर हो कर आये अन्दर बस के
अब कुछ और नहीं चाहिए सिवाय निद्रा रस के

भूत महल से निकले फिर भी भूतों की बात न हो
ऐसा तो होना ही नहीं था, भूतों की कथा न हो

भूत प्रेतों की कहानी में पूनम ऐसे मशगूल हुयी
अमित ने ऐसे डराया, चीखी सब कुछ भूल गयी

सफ़र समाप्त हुआ इस तरह कविता हो गयी पूरी
माफ़ी अगर कुछ बात रह गयी हो अभी अधूरी

सरिस्का यात्रा - पहला दिन

अभी पिछले शनिवार और रविवार को मैं मेरे सहकर्मियों के साथ सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण घूमने गया था, अगली दोनों कवितायें उसी यात्रा का वर्णन मात्र हैं.


सरिस्का यात्रा  - पहला दिन

हो चली Qualification टीम एक साथ
नापी अरावली के पठार करे उनसे दो दो हाथ

शुरू करी अन्ताक्षरी, खेला डम्ब-शेराज
पूरे टाइम थे सो रहे, मधुरिमा और जीतू महाराज

अन्ताक्षरी की क्या टीम बनी थी सबने गाया गान
स्वाति, दिनेश, अमित और विदुषी ने छेड़ी सबसे ज्यादा तान

संजीव की बोली निकले जब गिनती करनी हो छोटी
ढाबे पे स्वाद आ गया जब खायी पूरी सब्जी, परांठे और बटर रोटी

भीम घट्टे पे क्या खूब किया हम  सबने मिलके धमाल
झा जी जोश में ऊपर जा चढ़े और हम हंसते हुए निहाल

शाम हो चली और कर चले होटल की ओर प्रस्थान
आग जलायेंगे, खायेंगे पियेंगे फिर करेंगे विश्राम


रात हुयी, हुए इकट्ठे और हमने सुलगाई आग
उत्तम ने क्या ठुमके लगाये जब बजी मुन्नी राग


कविता मेरी ख़त्म नहीं हुयी धमाल अभी भी बाकी है
सुबह होने का इंतज़ार करो कमाल अभी भी बाकी है