Tuesday 15 March 2011

सरिस्का यात्रा - पहला दिन

अभी पिछले शनिवार और रविवार को मैं मेरे सहकर्मियों के साथ सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण घूमने गया था, अगली दोनों कवितायें उसी यात्रा का वर्णन मात्र हैं.


सरिस्का यात्रा  - पहला दिन

हो चली Qualification टीम एक साथ
नापी अरावली के पठार करे उनसे दो दो हाथ

शुरू करी अन्ताक्षरी, खेला डम्ब-शेराज
पूरे टाइम थे सो रहे, मधुरिमा और जीतू महाराज

अन्ताक्षरी की क्या टीम बनी थी सबने गाया गान
स्वाति, दिनेश, अमित और विदुषी ने छेड़ी सबसे ज्यादा तान

संजीव की बोली निकले जब गिनती करनी हो छोटी
ढाबे पे स्वाद आ गया जब खायी पूरी सब्जी, परांठे और बटर रोटी

भीम घट्टे पे क्या खूब किया हम  सबने मिलके धमाल
झा जी जोश में ऊपर जा चढ़े और हम हंसते हुए निहाल

शाम हो चली और कर चले होटल की ओर प्रस्थान
आग जलायेंगे, खायेंगे पियेंगे फिर करेंगे विश्राम


रात हुयी, हुए इकट्ठे और हमने सुलगाई आग
उत्तम ने क्या ठुमके लगाये जब बजी मुन्नी राग


कविता मेरी ख़त्म नहीं हुयी धमाल अभी भी बाकी है
सुबह होने का इंतज़ार करो कमाल अभी भी बाकी है

2 comments:

sandeep_photos said...

Mazedaar , Sariska Yatra ki tarah

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai chandan bhai...saakshaat darshan karaa diye lag raha hai aise...!!