रात बीती है मगर अब भी सहर बाकी है
होश में आया हूँ मगर अब भी ज़हर बाकी है
कोई नींद से जगाये मुझे सुबह हुयी
आँख तो खुल गयी है नींद अभी बाकी है
गर्म है खून मगर उसमे उबाल आता ही नहीं
इतनी वहशत है ज़माने में, कसर कुछ और अभी बाकी है?
जहाँ में रंग न जाने कितने हैं
एक अमन का रंग है जो सदियों से बाकी है
बात शम्मा की क्यूँ कर रहा परवाने तू
उसी की आग में जलना तेरा जो बाकी है
नादाँ हो जो खुश हो इश्क के अफ़साने पर
अभी है वस्ल की शब हिज्र अभी बाकी है
तेरी बुज़दिली का ज़िम्मेदार ख़ुदा कैसे है
ताज-ए-हिंद में हक माँगना अभी बाकी है
उम्र जो ढल रही तेरी तो क्या हुआ मेरे दोस्त
जोश बाजुओं में और रगों में खून अभी बाकी है
दर्द दुनिया में है बहुत ये हमने मान लिया
ये भी माना तेरी आहों में तड़प बाकी है
मैं जानता हूँ कि तू घर में खड़ा सोच रहा
अहलेवतन को क्यूँ पूछूं घर है मेरा वो बाकी है
जाने क्या सोच रहे हैं धर्म के ठेकेदार यहाँ
हिन्दू मुस्लिम में भी इंसान अभी बाकी है