Sunday, 24 November 2019

नन्हे दोस्त!



ज़िन्दगी तुमसे बेहतर कुछ दे भी नहीं सकती थी
वो एक कुतूहल जो इन नन्हीं आँखों में छुपा है
वो तबस्सुम, वो हंसी जो तेरे चेहरे में रवाँ है
इक छोटी सी हँसी जो हमारी जिंदगी शादाब कर दे
वो हर नया खेल-ओ-वाक़या जो तुम्हे नायाब कर दे
हर इक ग़म, हर इक दर्द को रफ़्ता करने का हुनर
तेरे होने से लगता है ज़िन्दगी में है बसर
वो नन्हीं हथेलियों की छुअन, काँधे पे तेरे सर का स्पर्श
अब मेरी ज़िन्दगी में सब कुछ कि जैसे अर्श ही अर्श
गोद में ले लूं तो जैसे सारी बहार मेरे दामन में
सारे जहान की खुशियाँ हों मेरे आँगन में
सच है, ज़िन्दगी तुमसे बेहतर कुछ दे भी नहीं सकती थी

2 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

atyant sundar rachna
subah subah dil prasann ho gaya

Fani Raj Mani CHANDAN said...

Thank you sir for your kind words :)