उन अधछुई उँगलियों से झलकता इकरार
हाँ वो बड़ा सादा अधूरा अपना प्यार
मुझे अभी भी, हाँ, अभी भी याद है
वो देर रात होती लम्बी गुफ्तगू
सारी हरारत एक पल में उड़न छू
वो कुछ मिनटों में सदियों का सा इंतज़ार
ग़ज़लों गीतों में साझा हो बेशुमार
तुमसे मेरा अधूरा मुहब्बत का इज़हार
मुझे अभी भी, हाँ, अभी भी याद है