Sunday 20 June 2010

Missing Myself

कुछ मामलों में अवसाद बड़ा ही अच्छा पल होता है| मेरी आदत है की मैं अपने आप से बहुत बातें करता हूँ| इधर कुछ दिनों से मौक़ा नहीं मिला अपने आप से मिलने का, ख़याल आया ऐसा क्या है जो मुझे अपने आप से मिला सके| जवाब भी खुद ही मिल गया "अवसाद", "अकेलापन"|

अभी पता नहीं क्यूँ अपने आप की बहुत याद आ रही है|

3 comments:

Dimple said...

Aye haye!!
Kya baat kya baat kya baat!!
Mazaa aa gayaa aapki likhi inn chandd panktiyon ko padne ke baad :)

Regards,
Dimple

Fani Raj Mani CHANDAN said...

हौसला-अफजाई के लिए शुक्रिया :)

Meet..... said...

हरदम तलाश-ए-गैर रहता है आदमी
डरता है कहीं खुद से मुलाकात न हो जाये


खूबसूरत प्रस्तुति के लिए साधुवाद ।।

I Salute Your Honesty............