Friday, 24 December 2010

मानवता की पुकार

मानवता की पुकार

हे मानव तू अब जाग जाग
है मानवता में लगी आग

क्या फड़कता नहीं अब रोम रोम
एक कर दे अब तू धरा व्योम

देखे कैसे तू दुराचार
फैला जाये ये भ्रष्टाचार

अब कृष्ण नहीं कोई आएगा
तुझे राह नहीं दिखलायेगा

तुझे डगर स्वयं चुननी होगी
तुझे सहर नयी चुननी होगी

एक धर्म युद्ध कर प्रारंभ
नए युग का होगा आरम्भ

ये झूठे स्वप्न दिखाने वाले
आपस में आग लगाने वाले

ये कृष्ण नहीं, शकुनी हैं ये
दुष्ट बड़े कपटी हैं ये

इश्वर के नाम लड़ाते हैं
खुद उन्हें बेच के खाते हैं

ये राजनेता ये व्यभिचारी
मौला, पंडित भगवाधारी

ये दुराचारी ये दुष्ट बहुत
हो इनपे अब तू रुष्ट बहुत

सुन देश पुकारे बार बार
सुन अपने अंतर्मन की पुकार

कर आरम्भ नयी श्रृष्टि का
ये हो प्रारंभ नयी दृष्टि का

जहाँ सारे जन हों रहे निहाल
ऐसा हो अपना देश विशाल

न किसी को किसी से बैर रहे
अपने हों सभी, उनकी खैर रहे

उदित हो आदित्य दीप्त
विश्व में होगा भारत प्रदीप्त

9 comments:

pavitra said...

न किसी को किसी से बैर रहे
अपने हों सभी, उनकी खैर रहे

sundar panktiyaan.....:)

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

chandan ji...
sajeev baat ko aapne hindi ke mahaantam shabdo mein jis prakaar sajoyaa hai, wo wakai kaabil-e-tareef hai...mujhe aapko ye do panktiyaan bahut pasand aayeen...

सुन देश पुकारे बार बार
सुन अपने अंतर्मन की पुकार

wakai mein antarman ki pukaar sun ne ka waqt aa gaya hai

वीना श्रीवास्तव said...

तुझे डगर स्वयं चुननी होगी
तुझे सहर नयी चुननी होगी
सुंदर पंक्तियां...नव वर्ष मंगलमय हो....

हरकीरत ' हीर' said...

दुआ है नववर्ष में आपकी पुकार जन-जन तक पहुंचे .....

आमीन .....!!

Fani Raj Mani CHANDAN said...

Aap sabhi ko nav varsh ki haardik shubhkaamnayein aur aapke comments ke liye dhanyawaad

Saabhar,
Fani Raj

रश्मि प्रभा... said...

jan jan mein yah pukaar gunje aur

उदित हो आदित्य दीप्त
विश्व में होगा भारत प्रदीप्त

नीरज गोस्वामी said...

देश प्रेम से ओतप्रोत आपका गीत बहुत प्रेरक है...बधाई स्वीकारें

नीरज

जयकृष्ण राय तुषार said...

sundar kavita badhai

Dimple said...

Hello Sir ji,

Aapne CHAK DE fatte kar diya hai... !!
I am very impressed and main bhaavuk ho jaati hu when it comes to 'mera bharat mahaan' :)

Really... bahut achhe comparisons daale hain and 1 insaan bhi desh and desh ko badal sakta hai :)

Regards,
Dimple