Sunday, 16 October 2011

आग का दरिया

वो न जीने का लुत्फ़ लेते हैं न मरने का जुनूं रखते हैं
मोहब्बत कर नहीं पाए या शायद कोई मिला नहीं है

हम अपनी ज़िन्दगी बेबाकी से जीते आयें हैं अब तक
आँखों में आँखे डाल कर कहते हैं, कोई गिला नहीं है

इश्क है, बेइन्तेहाँ है, फिर भी बड़े ग़मगीन रहते हो
अरे भाई! ये फूलों की वादी है जंगी किला नहीं है

किसी शायर ने इसको आग का दरिया कहा था
आह! क्या खूब दरिया है जो कहीं नीला नहीं है

13 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

jabaan aap saa khoobsoorat shaayar aaj tak humein mila nahee hai....

atyant sundar....

रश्मि प्रभा... said...

किसी शायर ने इसको आग का दरिया कहा था
आह! क्या खूब दरिया है जो कहीं नीला नहीं है
bahut khoob

नीरज गोस्वामी said...

Raaj mani ji waah..likhte rahiye...

Neeraj

रेखा said...

वाह.... बहुत खूब

डॉ. मोनिका शर्मा said...

इश्क है, बेइन्तेहाँ है, फिर भी बड़े ग़मगीन रहते हो
अरे भाई! ये फूलों की वादी है जंगी किला नहीं है

Bahut Khoob....

Dimple said...

Hello FRMC,

Sahi jaa rahe ho :)
Issi direction mein chalte chalo jaldi kaam banega ;-)
Waise, bahut hi badiya likha hai - jokes apart :D
Mujhe pataa hai tum hass rahe ho :)

Regards,
Dimple

कविता रावत said...

इश्क है, बेइन्तेहाँ है, फिर भी बड़े ग़मगीन रहते हो
अरे भाई! ये फूलों की वादी है जंगी किला नहीं है
....bahut khoob! sundar prastuti...

कविता रावत said...

IT professional ke baavjood aapka hindi mein itni sundar rachnayen prastut karna prashanniya aur anukarniya hai....
Haardik shubhkamnayen!!

mridula pradhan said...

आह! क्या खूब दरिया है जो कहीं नीला नहीं है
very good.

हरकीरत ' हीर' said...

आह! क्या खूब दरिया है जो कहीं नीला नहीं है

नीला ही होता है कभी डूब कर तो देखिये ......:))

हरकीरत ' हीर' said...

आह! क्या खूब दरिया है जो कहीं नीला नहीं है

नीला ही होता है कभी डूब कर तो देखिये ......:))

प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अचछी लगी ।मेर पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

इस्मत ज़ैदी said...

bahut su!!
likhte rahiye !