सोचा रुकूँ, ज़िन्दगी से दो चार बातें करूँ
पर ये ज़िन्दगी न जाने क्यूँ बदहवास सी भागती जा रही है.
न जाने इसे क्या चाहिए न जाने किसकी तलाश है!
है किस फ़िराक में ज़िन्दगी, तेरे दिल में कौन सी आरजू.
ज़रा कुछ खबर इधर भी दे, आ बैठ कर लें ज़रा गुफ्तगू
पर ये ज़िन्दगी न जाने क्यूँ बदहवास सी भागती जा रही है.
न जाने इसे क्या चाहिए न जाने किसकी तलाश है!
है किस फ़िराक में ज़िन्दगी, तेरे दिल में कौन सी आरजू.
ज़रा कुछ खबर इधर भी दे, आ बैठ कर लें ज़रा गुफ्तगू
6 comments:
वाह...बेजोड़ भावाभिव्यक्ति...बधाई स्वीकारें
नीरज
सुन्दर प्रस्तुति ...
gehree rachna chandan bhai
ज़रा कुछ खबर इधर भी दे, आ बैठ कर लें ज़रा गुफ्तगू..
बहुत सुन्दर लाइनें .
Lesser lines - deep meaning :)
Depth and intensity - once again!
beautiful lines....:)
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