जिसके भी जी में आया मुझे वो बता दिया
दुनिया ने मुझको हाय ये क्या क्या बता दिया
हिन्दू या मुसलमान ही बस बच गए यहाँ
इंसान को ढूँढा तो मुझे काफिर बता दिया
करते ख़ुदा ख़ुदा पर खुद की ही सोचते
सच कर दिया बयान तो साधू बता दिया
करते ख़ुदा ख़ुदा पर खुद की ही सोचते
सच कर दिया बयान तो साधू बता दिया
इश्वर और अल्लाह के घर बन रहे यहाँ
इंसान को फूटपाथ की चादर बता दिया
सिस्टम की खिलाफत में जो आवाज़ की बुलंद
सिस्टम के नुमाइंदो ने बागी बता दिया
थक कर ज़रा इस भीड़ से हो दूर जो बैठा
इस भीड़ ने न देर की पागल बता दिया
खुद को घिसा है मैंने इस दुनिया की संग पर
खुशबू जो आयी मुझसे तो 'चन्दन' बता दिया
9 comments:
hum ne to aapko khuda bataa diyaa....
aafareen rachna chandan bhai!!!!
थक कर ज़रा इस भीड़ से हो दूर जो बैठा
इस भीड़ ने न देर की पागल बता दिया
क्या बात है ....
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल ....!
वाह ... बहुत खूब
Yaar tumko kya hua hai??
Itna achha likha ki logo ne taareef ka pul banaa dia :)
Bahut bahutttttt achha likha hai...
इश्वर और अल्लाह के घर बन रहे यहाँ
इंसान को फूटपाथ की चादर बता दिया ..
वाह ... क्या कमाल के शेर निकाले हैं सरे ... इंसान की खुदगर्जी का नमूना बाखूबी दिया है ..
सभी शेर बहुत अच्छे हैं, बधाई.
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
थक कर ज़रा इस भीड़ से हो दूर जो बैठा
इस भीड़ ने न देर की पागल बता दिया
waah ...umda shayari ...
shubhkamnayen ...!!
बेहतरीन गज़ल...
बढ़िया शेर...
अनु
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