Wednesday, 19 December 2012

जन्मदिन और टॉफियां




जन्मदिन, जब बच्चा बनने की चाहत
एक बार फिर उमड़ आती है दिल में
और कुछ बचपन की सोंधी खुशबू भर आती है
केक नहीं होता था, ना चोकोलेट ही होता था
बर्फियाँ होती थी गाँव के हलवाई की दूकान की
और टॉफियां काका की छोटी परचून की दूकान से
उन टॉफियों का अपना अलग मज़ा होता था
आज उन्ही यादों की खुशबू कों ताज़ा करने की कवायद लिए
कुछ टॉफियां लाया हूँ और साथ हैं बचपन की मीठी यादें

4 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

janmdin ki bahut bahut badhaaiyaan aapko sir jee....rab kare aap khush rahein hamesha!!

डॉ. जेन्नी शबनम said...

अब मिठाई की जगह केक और टॉफ़ी की जगह चोकलेट ने ले लिया है. पर छोटी छोटी टॉफ़ी का मज़ा ही कुछ और है... शुभकामनाएँ.

हरकीरत ' हीर' said...

क्या बात है .....
टाफियाँ तो अच्छी हैं ...

जन्मदिन मुबारक ......!!

दिगम्बर नासवा said...

बपन की यही मीठी यादें संजो के रहिये ...
जीने का संबल होती हैं ...