जन्म एवं मृत्यु
एक आदि तो दूजा अंत
दो सिरे हैं जीवन के
और जीवन
इन दोनों बिन्दुओं के बीच डगर
हम पथिक हैं, चलते हैं, गिरते और संभलते हैं
रुक कर विश्राम कर लेना
इस डगर का नियम नहीं है
निरंतर चलना है गंतव्य की ओर
और इस राह को दिशा देना
एक आदि तो दूजा अंत
दो सिरे हैं जीवन के
और जीवन
इन दोनों बिन्दुओं के बीच डगर
हम पथिक हैं, चलते हैं, गिरते और संभलते हैं
रुक कर विश्राम कर लेना
इस डगर का नियम नहीं है
निरंतर चलना है गंतव्य की ओर
और इस राह को दिशा देना
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