आँधियों के उखड़े पेड़ देखें हैं कभी?
या फिर इक उधड़ा हुआ पैरहन?
की जैसे पैबंद लगा कर ठीक करने की नाकाम कोशिश की हो किसी ने
अंधड़ में गिरे दरख़्तों की जड़ें वापस नहीं लगती
चिथड़े हुए कपड़े भी काम नहीं आते
आज ऐसा लग रहा है
की कोई तेज़ आँधी मेरी जड़ें हिलाने को आमादा हैं
की मैं कुछ पल में चीथड़ों में बदल जाऊँगा
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